मेरा प्यार pradeep Kumar Tripathi द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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मेरा प्यार

नमस्ते दोस्तों, मेरा नाम प्रदीप कुमार त्रिपाठी है और ये मेरी खुद की छोटी सी प्यार की कहानी है।
है छोटी लेकिन जिन्दगी भर जीने के लिए काफी है,
तो ये प्यार की कहानी तब सुरु हुई जब मैं कक्षा आठ पास करके हाई स्कूल में जाने की तैयारी कर रहा था। मेरे गांव में कोई हाई स्कूल उस समय नहीं थी, तो मेरे बड़ी बुआ जी जो मेरे पापा से बोलीं कि प्रदीप को मेरे घर से हाई स्कूल करने दो। मैं उसकी देख भाल करूंगी पापा को बुआ की बात अच्छी लगी और मेरा नाम हनुमना में हाई स्कूल में लिखा दिया गया।
जुलाई से मैं स्कूल जाने लगा देखते ही देखते मेरे बहुत सारे दोस्त भी बन गए, हम दोस्तों के साथ मस्ती भी करते थे और पढ़ाई भी, और समय बीतता गया लेकन अभी भी मुझे प्यार के बारे में कुछ पता नहीं था।
अप्रैल आया तो बुआ के यहां मझले भईया की शादी की बात तय हो गई, हम सब बहुत ही खुश थे, मेरी जान में ये पहली बार मैं बरती बनके जाने वाला था क्योंकि मेरी जानकारी में ये पहली लड़के की शादी थी इसलिए बहुत ज्यादा खुश था।
शादी की तारीख नजदीक आ रही थी और हम सब तैयारी में जुटे थे अब सभी रिश्तेदारों का भी आना सुरु हो गया हम और भईया कुछ सामान लेने गए थे और शाम को घर आए तो मेरे बुआ की ननद की एक लड़की जिसका नाम बंदू (बंदना) था। जो अपने दो भाई मम्मी और पापा के साथ आई थी।
मुझे छोटे बच्चे बहुत अच्छे लगते हैं इलिए मैं आया तो सारे बच्चे मेरे पास आ कर खेलने लगे साथ में मैं भी और बंदू मेरे को देख रही थी। अब क्योंकि हम ने एक दूसरे को पहली बार देखा था इससे पहले हम कभी नहीं मिले थे, तो बंदू ने मेरी बुआ से पूंछा की ये कोन है तो बुआ ने कहा ये मेरा भतीजा है।
मैं अपने मोबाइल से गाना सुना रहा था बच्चो को तभी वो आई और बोली तुम्हारा नाम क्या है, मैं पहली बार किसी लड़की से बात कर रहा था तो थोड़ा सा घबरा रहा था तो फिर पूंछा उसने नाम क्या है मैं बोला प्रदीप बहुत ही धीरे से, और मोबाइल में कुछ देखने का नाटक करने लगा तो वो पास में बैठ गई और मेरा मोबाईल लेलिया।
तभी मुझे कुछ काम याद आया और मैं बाज़ार चला गया। बाज़ार से लौट कर आया तो मैंने उससे बोला बंदू मेरा मोबाईल दो किसी को फोन करना है तो वो मुस्कुरा कर बोली तुम्हारे मोबाईल में गाने बहुत अच्छे हैं मुझको इसमें से कुछ तो बहुत ही पसंद है और मोबाईल देदिया।
अभी रात हो गई थी तो हम सब खाना खाने जा रहे थे तो जितने रिश्तेदार थे वो सब बाहर बैठे मैं अन्दर गया बड़ी भाभी मगन को बोला भाभी खाना दीजिए भाभी बोली अन्दर बंदू है जाओ लेलो मैं बाहर सभी को परोस कर आती हूं।
मैं अन्दर गया और बोला मुझे खाना खाना है तो बंदू ने खाना दिया और बोली अपना फोन दिखाओ किससे बात करना था, मैं बोला दोस्त से वो बोली दोस्त था या कोई और मैं बोला दोस्त और मै चुप हो गया।
बंदू ने फोन देखने के बाद वापस दिया और मैं खाना खा कर सो गया, सुबह हुई मै उठा और देखा फोन नहीं है मेरे पास तभी बंदू मेरे कमरे में चाय ले कर आई और बोली चाय पी लो और तुम्हारा फोन मेरे पास है, और मुस्कुराती हुई चली गई अब मैं जब भी उसे दिखता तो मुझे छेड़ती थी और हांथ पकड़ लेती थी।
पहले तो मुझे बहुत शर्म आती थी लेकिन धीरे धीरे पता नहीं क्या हुआ हम दोनों पूरा दिन एक साथ गुजारने लगे थे।
अब रिश्तेदारों में कुछ लड़के भी आए थे वो सब मुझे बोलने लगे दोनों एक साथ पूरे दिन और देर रात तक साथ रहते हो कुछ तो है बोल बोल कर चिड़ा रहे थे तभी बंदू आई और बोली तो तुम सबको क्या समस्या है और मुझे बुलाकर वहां से चली गई, हम दोनों बड़ी भाभी के कमरे में जा कर उनके बिस्तर पर लेट गए तभी लाईट चली गई बंदू बोली मुझे अंधेरे से डर लगता है और मेरा हाथ पकड़ कर अपने दिल पर रख लिया। मेरी धड़न बहुत तेजी से चलने लगी तभी उसने मुझे गले से लगा लिया जिन्दगी में पहली बार किसी लड़की ने गले लगाया था, मुझे उसकी धड़कन सुनाई दे रही थी। उसके गले लगाते ही अन्दर से जो खुशी मिल रही थी मैं उसे सब्दों में नहीं बयां कर सकता, कुछ पल ही बीते की तभी कमरे में कोई आया क्योंकि दरवाजा खुला था तो अन्दर आया तभी लाईट आ गई उसने मेरा हाथ छोड़ दिया और देखा कोन है तो उसकी मम्मी थी बोलीं मेरा कुछ समान यहां था मिल नहीं रहा मेरी मदत करो दोनों लोग ढूंढनेमें हमने खोज कर सामान दिया और वो चली गई हम दोनों बहुत देर तक बैठे रहे।
तभी भाभी आई और बोली चलो खाना खा लो और सो जाओ सुबह जलदी उठाना है। हम दोनों ने एक साथ खाना खाया और जा कर अपने अपने कमरे में सो गए, लेकिन रात भर नींद नहीं आ रही थी बार बार उसका चेहरा मेरे सामने आजाता है रात से भोर हो गया 3.00 बजे थोड़ी सी नींद आई और सुबह 6.00 बजे उठ गए।
बंदू ने मुझे चाय दी और बोली आज मुझे रात भर नींद नहीं आई ऐसा क्यों मै बोला नींद तो मुझे भी नहीं आई रात को, ये सुनते ही मुस्कुराते हुए चली गई हम दोनों ने नहाया और मन्दिर गए हनुमान जी का दर्शन किया और कुछ देर तक बैठे रहे मंदिर में, फिर वापस आए और काम में लग गए लेकिन मन हम दोनों का एक दूसरे को बिना देखे नहीं लगता था।
अब कल बारात जाने वाली है तो उसकी तैयारी हो रही थी वो बार बार बाहर आ कर मुझे देखती और अन्दर चली जाती अगर एक घंटे नहीं आती तो मै अन्दर जाता और देख कर बाहर आ जाता।
आज पूरा दिन काम में निकल गया एक दूसरे से बात भी नहीं हो पाई , रात में खाना खाने गया तो भईया के साथ खाना पड़ा।
आज मुझे पता चला की प्यार क्या होता है क्योंकि जब मैं फिल्मों में देखता था तो लगता था कि ऐसा थोड़ी होता है कि किसी को ना देखो तो आदमी रह नहीं सकता।
लेकिन अब मैं दावे से बात कह सकता हूं कि प्यार में होता है,
सुबह हुई वो मुझसे रूठी हुई थी क्योंकि कल मैं ने उसे समय नहीं दिया आज बाजार जाने को तैयार हुए तभी मुझे बंदू भाभी के कमरे में जाती दिखी मैं भी गया और देखा कि बिस्तर पर लेट कर वो रो रही थी।
मैं ने उसको उठा कर गले से लगा लिया अब वो और भी ज्यादा रोने लगी पहली बार मुझे ऐसा लग रहा था कि कोई मेरी जान लेले लेकिन इसे चुप करा दे, कुछ समय में उसे समझाया तो मान गई और मैं बोला बाजार जा रहा हूं तुम्हरा कुछ सामान लाना है तो बोलो, उसने कहा मेहंदी लाना है बस और सब है ठीक है और मैं बाज़ार चला गया।
बाजार से लौट कर आया और बारात जाने वाली थी मैं भी तैयार होने लगा बंदू आई और मुझे बोली ये वाला कपड़ा पहनना है ये मुझे अच्छा लगता है और मैं ने पहन लीया हम सब बारात गए रात भर जाग कर मजे किए बारात में, और सुबह नई भाभी को ले कर घर आ गए।
शाम टाइम सभी लोग नई भाभी को लेकर मन्दिर गए हम दोनों भी गए सभी पूजा अर्चना कर रहे थे और हम दोनों बैठे बात कर रहे थे।
मन्दिर से लौट कर आए और हम दोनों रात को साथ में खाना खाया और सो गए।
सुबह हुई तो मैंने देखा कि बंदू के मम्मी पापा अपने घर जाने की तैयारी में है, मै ने बंदू के तरफ देखा तो आंखों में आशु थे और सर को झुका लिया रुमाल से आंसू पोंछे और बोली आज हम घर जा रहे हैं, इतना सुनना था कि मेरे अंदर एक तूफान सा उठने लगा। अब मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं मेरे आंखों के आशु मानो सूख गए थे और मैं अन्दर हि अन्दर खुद से लड़ रहा था और शायद हार भी रहा था ।
मैं एक कमरे में जा कर बैठ गया तभी बंदू आई और बोली मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूं, लेकिन
इस एक लेकिन ने मेरी हंसती मुस्कुराती जिंदगी को वीरान और अकेला कर दिया और वो चली गई मुझे छोड़ कर।
जाते जाते बोली प्रदीप कभी कुछ ऐसा मत करना की हमारे सच्चे प्यार पर कोई ऊंगली उठाए।
उसके जाने के बाद वो सब हुआ मेरे साथ जो एक सच्चा प्यार करने वाले के साथ होता है।
सोते जागते उठते बैठते खाते पीते हर समय उसका चेहरा मेरी नजरो के सामने रहता है।
बस मेरी भगवान से एक ही प्रार्थना की कि जहां भी रहे खुश रहे।
"मेरा प्यार"